“भूमि अधिग्रहण बिल

“भूमि अधिग्रहण बिल” के अनुसार 2013

1 अधिग्रहण से पहले सामाजिक आंकलन किया जायेगा कि इसका समाज पर क्या प्रभाव होगा वर्तमान अध्यादेश के अनुसार, राष्ट्रिय सुरक्षा, ग्रामीण विकास, उद्योगिकीकरण के लिए आंकलन जरुरी नहीं हैं |

2 व्यक्तिगत प्रोजेक्ट के लिए 80% एवम PPP के लिए 70 % लोगो की स्वीकृति अनिवार्य हैं सुरक्षा, विकास, उद्योगिकीकरण के लिए स्वीकृति अनिवार्य नहीं हैं |

3 बहुत आवश्यक होगा तब ही उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण किया जायेगा | सुरक्षा, ग्रामीण विकास,रक्षा के लिए उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण किया जा सकता हैं |

4 ग्रामीण जमीन के लिए चार गुना एवम शहरी जमीन के लिए दो गुना मुआवजा दिया जायेगा इसमें कोई संशोधन नहीं हैं यह इसी तरह से तय किया गया हैं |

5 अगर किन्ही कारण से पांच वर्षो में जमीन पर तय किया गया कार्य नहीं होता हैं तो जमीन को वापस कर दिया जायेगा | वर्तमान सरकार द्वारा प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए समय सीमा का कोई बंधन नहीं हैं

6 नियमों की अव्हेलना करने वाले अधिकारियों पर उचित कार्यवाही की जाएगी | बिना अनुमति किसी भी अधिकारी पर कोई केस नहीं किया जायेगा |

“भूमि अधिग्रहण बिल” के अनुसार 2015
1 अधिग्रहण से पहले सामाजिक आंकलन किया जायेगा कि इसका समाज पर क्या प्रभाव होगा
वर्तमान अध्यादेश के अनुसार, राष्ट्रिय सुरक्षा, ग्रामीण विकास, उद्योगिकीकरण के लिए आंकलन जरुरी नहीं हैं |

2व्यक्तिगत प्रोजेक्ट के लिए 80% एवम PPP के लिए 70 % लोगो की स्वीकृति अनिवार्य हैं

सुरक्षा, विकास, उद्योगिकीकरण के लिए स्वीकृति अनिवार्य नहीं हैं |

3बहुत आवश्यक होगा तब ही उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण किया जायेगा |
सुरक्षा, ग्रामीण विकास,रक्षा के लिए उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण किया जा सकता हैं |

4ग्रामीण जमीन के लिए चार गुना एवम शहरी जमीन के लिए दो गुना मुआवजा दिया जायेगा
इसमें कोई संशोधन नहीं हैं यह इसी तरह से तय किया गया हैं |

5अगर किन्ही कारण से पांच वर्षो में जमीन पर तय किया गया कार्य नहीं होता हैं तो जमीन को वापस कर दिया जायेगा |
वर्तमान सरकार द्वारा प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए समय सीमा का कोई बंधन नहीं हैं

6नियमों की अव्हेलना करने वाले अधिकारियों पर उचित कार्यवाही की जाएगी |
बिना अनुमति किसी भी अधिकारी पर कोई केस नहीं किया जायेगा |
भूमि अधिग्रहण बिल 2015 के नुकसान

• भूमि अधिग्रहण बिल 2014 के बिल के अनुसार सीधे सीधे मुआवजा देकर किसानो को जमीन से अलग कर देने की बात हैं उसे किसी भी तरह से आपत्ति जताने की अनुमति नहीं हैं |
• यहाँ तक कि अधिकारियों के गलत रवैये के लिए उन पर केस भी नहीं किया जा सकता |
• जमीन पर कार्य शुरू होगा या नहीं होगा कब तक होगा इस तरह से सरकार ने खुद को किसी नियम में नहीं बाँधा हैं |
• जमीन पर सरकार की तरफ से उद्योगपति कार्य करेंगे जिससे सीधे- सीधे जाहिर होता हैं कि यह भूमि अधिग्रहण बिल 2014 अध्यादेश किसानों के हक़ में नहीं अपितु उद्योगपति के हक़ में होगा |
• ना ना कह कर सरकार भू पतियों से सारे हक़ छीन रही हैं और अंग्रेजी हुकूमत की तरह रवैया अपना रही हैं |
• भूमि अधिग्रहण बिल 2014 ने पूरी तरह से लोकतंत्र की परिभाषा को बदल दिया है |
• भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन की आवश्यक्ता ही नहीं थी भूमि अधिग्रहण बिल 2013 हर हाल में भूमि अधिग्रहण बिल 2014 से बेहतर स्थिती मे था |
यह सभी बाते अन्ना हजारे द्वारा सरकार के विरोध में और जनता के हक़ में कही गई हैं जिसके लिए देशवासी उनके साथ हैं |
परन्तु देशवासी इस भूमि अधिग्रहण बिल से अनिभिज्ञ हैं इसे केवल वही जानता हैं जो इस भूमि अधिग्रहण से प्रभावित हैं ऐसे में कितने लोग अन्ना का साथ देते हैं यह विचारणीय हैं |
जंतरमंतर पर दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अन्ना हजारे का पूरा साथ देने कहा हैं वैसे तो दिल्ली की भूमि पूरी तरह दिल्ली सरकार के हक़ में नहीं आती परन्तु केजरीवाल ने जनता को आश्वस्त किया हैं कि वो केंद्र का विरोध करेगी |
भूमि जमीन अधिग्रहण बिल का बुरा असर
किसानो के दिल और दिमाग पर भूमि अधिग्रहण बिल 2015 का बहुत बुरा असर पड़ा हैं अभी तक किसान मौसम की चपेट में था लेकिन अब वो सरकार के इस बिल के कारण हतोत्साहित महसूस कर रहा हैं |
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संदीप गुर्जर पाटील
9049360411

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